ऐसो चटक मटक सो ठाकुर – भजन (Aiso Chatak Matak So Thakur)

jambh bhakti logo

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

तीनों लोकन हूँ में नाय
तीनों लोकन हूँ में नाय
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

तीन ठौर ते टेढ़ो दिखे
नट किसी चलगत यह सीखे
टेड़े नैन चलावे तीखे
सब देवन को देव, सब देवन को देव
ताऊ ये ब्रज में घेरे गाय

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

ब्रह्मा मोह कियो पछतायो
दर्शन को शिव ब्रज में आयो
मान इंद्र को दूर भगायो
ऐसो वैभव वारो, ऐसो वैभव वारो
ताऊ ये ब्रज में गारी खाए

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

बड़े बड़े असूरन को मारयो
नाग कालिया पकड़ पछाड़ो
सात दिना तक गिरिवर धारयो
ऐसो बलि ताऊ, ऐसो बलि ताऊ
खेलत में ग्वालन पे पीट जाय

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

रूप छबीलो है ब्रज सुंदर
बिना बुलाए डोले घर घर
प्रेमी ब्रज गोपीन को चाकर
ऐसो प्रेम बढ्यो, ऐसो प्रेम बढ्यो
माखन की चोरी करवे जाए

जाम्भोजी तथा रणधीर के प्रश्न तथा उत्तर

चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी (Bhagwan Shri Sheetalnath Ji)

हे शिव शम्भू नमस्तुभ्यं: भजन (Hey Shiv Shambhu Namastubhyam)

ऐसो ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

ऐसो ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

तीनों लोकन हूँ में नाय
तीनों लोकन हूँ में नाय

हो सखी, ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर
तीनों लोकन हूँ में नाय

आरती कुंजबिहारी की | आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं | आरती श्री बाल कृष्ण जी की | ॐ जय जगदीश हरे | मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं | कृष्ण भजन | अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं | श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment