घर ऐसा देना माँ,
जो तेरे मंदिर जैसा हो,
जैसा है भवन तेरा,
मेरा आँगन पावन ऐसा हो,
घर ऐसा देना मां,
जो तेरे मंदिर जैसा हो ॥
जब तक जीवन ज्योत जले माँ,
तेरी ज्योत जलाऊं मैं,
हर एक साँस में माता रानी,
तेरा शुकर मनाऊं मैं,
ये नियम निभाऊं मैं,
माँ समय भले ही कैसा हो,
घर ऐसा देना मां,
जो तेरे मंदिर जैसा हो ॥
हर एक साधु संत को मैया,
घर मेरे सम्मान मिले,
करूँ गरीबों की सेवा,
बस इतना धन धान मिले,
अरदास मेरी जैसी,
माँ सबकुछ वैसा वैसा हो,
घर ऐसा देना मां,
जो तेरे मंदिर जैसा हो ॥
रहे तेरे चरणों में दाती,
ये परिवार हमारा,
रोज सुबह उठते ही बोले,
हम तेरा जयकारा,
हर साल तेरे दर से,
माँ दर्शन का संदेसा हो,
घर ऐसा देना मां,
जो तेरे मंदिर जैसा हो ॥
घर ऐसा देना माँ,
जो तेरे मंदिर जैसा हो,
जैसा है भवन तेरा,
मेरा आँगन पावन ऐसा हो,
घर ऐसा देना मां,
जो तेरे मंदिर जैसा हो ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)
गणगौर व्रत कथा (Gangaur Vrat Katha)
जाम्भोजी ने सांणीया (भूत) को रोटू गाव से भगाया भाग 2
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन