आरती युगलकिशोर की कीजै (Aarti Shri Yugal Kishoreki Keejai)

आरती युगलकिशोर की कीजै ।
तन मन धन न्योछावर कीजै ॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै ।
हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा ।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥

ओढ़े नील पीत पट सारी ।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥

फूलन सेज फूल की माला ।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥

कंचन थार कपूर की बाती ।
हरि आए निर्मल भई छाती ॥

भोलेनाथ की दीवानी, गौरा रानी लागे: भजन (Bholenath Ki Deewani Gora Rani Lage)

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 24 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 24)

तारा है सारा जमाना, श्याम हम को भी तारो - भजन (Tara Hai Sara Zamana, Shyam Hamko Bhi Taro)

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी ।
आरती करें सकल नर नारी ॥

नंदनंदन बृजभान किशोरी ।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment