ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की – भजन (Na Jee Bhar Ke Dekha Naa Kuch Baat Ki)

jambh bhakti logo

ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ।
करो दृष्टि अब तो प्रभु करुना की,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

गए जब से मथुरा वो मोहन मुरारी,
सभी गोपिया बृज में व्याकुल थी भारी ।
कहा दिन बिताया, कहाँ रात की,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

चले आयो अब तो ओ प्यारे कन्हिया,
यह सूनी है कुंजन और व्याकुल है गैया ।
सूना दो अब तो इन्हें धुन मुरली की,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

हम बैठे हैं गम उनका दिल में ही पाले,
भला ऐसे में खुद को कैसे संभाले ।
ना उनकी सुनी ना कुछ अपनी कही,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

तेरा मुस्कुराना भला कैसे भूलें,
वो कदमन की छैया, वो सावन के झूले ।
ना कोयल की कू कू, ना पपीहा की पी,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

श्री सत्यनारायण कथा - चतुर्थ अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Chaturth Adhyay)

कहियो दर्शन दीन्हे हो, भीलनियों के राम: भजन (Kahiyo Darshan Dinhe Ho Bhilaniyo Ke Ram)

पार्श्व / परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा (Parshva / Parivartani Ekadashi Vrat Katha)

तमन्ना यही थी की आएंगे मोहन,
मैं चरणों में वारुंगी तन मन यह जीवन ॥
हाय मेरा यह कैसा बिगड़ा नसीब,
बड़ी आरजू थी, मुलाकात की ॥

आरती कुंजबिहारी की | आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं | आरती श्री बाल कृष्ण जी की | ॐ जय जगदीश हरे | मधुराष्टकम्: धरं मधुरं वदनं मधुरं | कृष्ण भजन | अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं | श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment