क्या करे इन हाथों का,
इतने इतने हाथ,
कमसे कम दो सर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद ॥
बड़ी सरकार हो मैया,
हजारो हाथ वाली हो,
अगर तक़दीर से मेरे,
तेरे दो हाथ खाली हो,
हाथों को भी काम मिले,
बन जाए मेरी बात,
कमसे कम दो सर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथो का ॥
हाथ दो सर पे रखकर माँ,
अगर तुम भूल जाओगी,
फर्क कितना पड़ेगा माँ,
अगर दो कम बताओगी,
दो की गिनती ना करियो,
माँ बाकी के साथ,
कमसे कम दो सर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथो का ॥
हजारो हाथ रखवाते,
मगर ये बात काफी है,
ये बेड़ा पार लगाने को,
तेरे दो हाथ काफी है,
बाकी सारे याद रहे,
रहे ना दोनों याद,
कमसे कम दो सर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथो का ॥
हाथ माँ रखते ही तेरे,
ये आंसू गिर गिर ना जाए,
कलेजा ममता से तेरा,
अगर माँ भर भर ना जाए,
खिंच लियो बनवारी माँ,
सर से हाथों हाथ,
कमसे कम दो सर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद,
क्या करे इन हाथो का ॥
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 34 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 34)
गोपाल गोकुल वल्लभे, प्रिय गोप गोसुत वल्लभं (Gopal Gokul Valbhe Priya Gop Gosut Valbham)
क्या करे इन हाथों का,
इतने इतने हाथ,
कमसे कम दो सर पे रख दे,
देंगे आशीर्वाद ॥
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