हरि तुम हरो जन की भीर – भजन (Hari Tum Haro Jan Ki Bhir)

jambh bhakti logo

हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर…

भगत कारण रूप नरहरि धर्‌यो आप शरीर॥
हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्‌यो नाहिन धीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर…

बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥

हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥

दरश को आ रही हूं माँ, मेरी अरदास सुन लेना: भजन (Darash Ko Aa Rahi Hun Maa Meri Ardas Sun Lena)

गजेंद्र और ग्राह मुक्ति कथा (Gajendra And Grah Mukti Katha)

केवट ने कहा रघुराई से: भजन (Kewat Ne Kaha Raghurai Se)

Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment