दादी इतनी किरपा करिये,
दर ते आवता रवा,
मैं तो थारे दरबार से मांगता रहा ॥
थोड़ो थोड़ो देवो दादो बार बार आवेगा,
दादी तने मीठा मीठा भजन सुनवा गा,
माहरी झोली इतनी भरिये मैं भी भांत ता रहा,
मैं तो थारे दरबार से माँ मांग ता रहा ॥
एक बार में देवो दातो आन को नि पावा गा,
मोह माया के जाल में माँ मैं भी फस जावा गा,
शुभम रूपम ने भी हाज़री लगावता रहा,
मैं तो थारे दरबार से माँ मांग ता रहा ॥
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन
चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट: भजन (Bhajan: Chitrakoot Ke Ghat Ghat Par Shabri Dekhe Baat)
बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalia)
परदेस जा रहे हो, कैसे जियेंगे हम - भजन (Parades Ja Rahe Ho, Kaise Jiyenge Hum)
Post Views: 119