दादी इतनी किरपा करिये,
दर ते आवता रवा,
मैं तो थारे दरबार से मांगता रहा ॥
थोड़ो थोड़ो देवो दादो बार बार आवेगा,
दादी तने मीठा मीठा भजन सुनवा गा,
माहरी झोली इतनी भरिये मैं भी भांत ता रहा,
मैं तो थारे दरबार से माँ मांग ता रहा ॥
एक बार में देवो दातो आन को नि पावा गा,
मोह माया के जाल में माँ मैं भी फस जावा गा,
शुभम रूपम ने भी हाज़री लगावता रहा,
मैं तो थारे दरबार से माँ मांग ता रहा ॥
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन
राधिका गोरी से बिरज की छोरी से - बाल लीला (Bal Leela Radhika Gori Se Biraj Ki Chori Se)
बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Katha)
मन में बसाकर तेरी मूर्ति: आरती (Mann Mai Basakar Teri Murti)
Post Views: 166