हर बार मैं खुद को,
लाचार पाती हूँ,
तेरे होते क्यों दादी,
मैं हार जाती हूँ,
तेरे होते क्यो दादी,
मैं हार जाती हूँ ॥
हर कदम पे क्या यूँ ही,
मैं ठोकर खाउंगी,
माँ इतना कह दे क्या,
मैं जीत ना पाऊँगी,
तेरी चौखट पे मैं क्या,
बेकार आती हूँ,
तेरे होते क्यो दादी,
मैं हार जाती हूँ ॥
क्यों अपनी बेटी को,
तू भूली बिसरि है,
लाडो अरदास लिए,
चौखट पे पसरी है,
तेरी ममता याद दिलाने,
तेरे द्वार आती हूँ,
तेरे होते क्यो दादी,
मैं हार जाती हूँ ॥
मेरा हाथ पकड़ ले माँ,
मैं इतना ही चाहूँ,
‘स्वाति’ जीवन में फिर,
मैं हार नहीं पाऊं,
अरमा ये ‘हर्ष’ लिए,
दरबार आती हूँ,
तेरे होते क्यो दादी,
मैं हार जाती हूँ ॥
हर बार मैं खुद को,
लाचार पाती हूँ,
तेरे होते क्यों दादी,
मैं हार जाती हूँ,
तेरे होते क्यो दादी,
मैं हार जाती हूँ ॥
कभी राम बनके, कभी श्याम बनके - भजन (Bhajan: Kabhi Ram Banake Kabhi Shyam Banake)
भजन: सालासर में जिसका, आना जाना हो गया (Salasar Mein Jiska, Aana Jana Ho Gaya)
पकड़ लो बाँह रघुराई, नहीं तो डूब जाएँगे - भजन (Pakadlo Bah Raghurai, Nahi Too Doob Jayenge)
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन








