भूल बिसर मत जाई कन्हैया, मेरी ओड़ निभाना जी |
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, कुंडल झलकत काना जी |
वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में,मोहन वंशी बजाना जी ||
हमरी तुम से लगन लगी है , नित प्रति आना जी |
घट-घट वासी अंतरजामी,प्रेम का पंथ निभाना जी ||
जो मोहन मेरो नाम न जानो,मेरो नाम दीवाना जी |
हमरे आँगन तुलसी का बिरवा, जिसके हरे हरे पाना जी ||
जो काना मेरो गाँव न जानो, मेरो गाँव बरसाना जी |
सूरज सामी पोल हमारो चन्दन चौक निसाना जी ||
सरस्वती चालीसा (Saraswati Chalisa)
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो (Nagri Ho Ayodhya Si, Raghukul Sa Gharana Ho)
कभी राम बनके, कभी श्याम बनके - भजन (Bhajan: Kabhi Ram Banake Kabhi Shyam Banake)
या तो ठाकुर दरसन दीजो , नहीं तो लीजो प्राना जी |
मीरा के प्रभु गिरधर नगर,चरणों में लिपटाना जी ||
भजन :- मै तो जोऊ रे सांवरिया थारी बाट,म्हारो बेडो लगा दीजो पार,मनवा राम सुमर ले
भजन :- गिरधर गोकुल आव ,जंभेश्वर भगवान म्हाने दर्शन दो जी आय, भजन :- गावो गावो ए सईयां म्हारी गितड़ला
1 thought on “भूल बिसर मत जाई कन्हैया, मेरी ओड़ निभाना जी”
Super 💓😘