तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं से चला करती प्राणों की धड़कन
तुम्हीं से सचेतन अहंकार तन मन
तुम्हीं में ये दर्शन…
तुम्हीं में ये दर्शन किए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
असत के सदा आश्रय हो तुम्हीं सत
तुम्हीं में विषय विष, तुम्हीं में है अमृत
पिलाते हो जो कुछ…
पिलाते हो जो कुछ पिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
एक भोली भाली कन्या - भजन (Ek Bholi Bhali Kanya)
श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का प्रथम शब्द उच्चारण
जहाँ भी रहूँ ध्यान मैं तुमको देखूँ
तुम्हीं में हूँ मैं ज्ञान मैं तुमको देखूँ
पथिक मैं ये अर्ज़ी…
पथिक मैं ये अर्ज़ी दिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥