तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं से चला करती प्राणों की धड़कन
तुम्हीं से सचेतन अहंकार तन मन
तुम्हीं में ये दर्शन…
तुम्हीं में ये दर्शन किए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
असत के सदा आश्रय हो तुम्हीं सत
तुम्हीं में विषय विष, तुम्हीं में है अमृत
पिलाते हो जो कुछ…
पिलाते हो जो कुछ पिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
नौ नौ रूप मैया के तो, बड़े प्यारे लागे: भजन (Nau Nau Roop Maiya Ke To Bade Pyare Lage)
श्री महालक्ष्मी अष्टक (Shri Mahalakshmi Ashtakam)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 20)
जहाँ भी रहूँ ध्यान मैं तुमको देखूँ
तुम्हीं में हूँ मैं ज्ञान मैं तुमको देखूँ
पथिक मैं ये अर्ज़ी…
पथिक मैं ये अर्ज़ी दिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥
तुम्हीं में ये जीवन जिए जा रहा हूँ
जो कुछ दे रहें हो लिए जा रहा हूँ ॥