शिव शंकर डमरू धारी,
है जग के आधार,
तीनो लोक पे रहता है,
उनका ही अधिकार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
शिवजी ही सृष्टि संचालक है,
शिवजी कण कण में व्यापक है,
ये शिव शंकर कैलाशी है,
ये शिवजी काशीवासी है,
इनके हाथों में है त्रिभुवन,
सब देवों पर इनका शासन,
ये भोले जो है शिव शंकर,
सब करते हैं इनका आदर,
महादेव शिव भोले है,
देवों के सरदार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
शिव का सिमरन है फलदाई,
शिव का सिमरन है सुखदाई,
शिव जाप से शांति मिलती है,
शिव जाप से मुक्ति मिलती है,
शिव भोले बड़े दयालु है,
शिव भोले बड़े कृपालु है,
भक्तों पे मेहर वो करते हैं,
शिव झोलिया सबकी भरते है,
शिव के जैसा कोई नहीं,
दानी और दातार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
वो निर्धन हो या कोई धनी,
इस बात से फर्क नहीं कोई,
वो रंक हो या कोई राजा,
यहा कोई नहीं है छोटा बड़ा,
शिव की जो शरण में आते है,
वो कभी निराश ना जाते है,
शिव सब पे करते हैं कृपा,
मिलता है सबको प्यार उनका,
महाकाल महादेव जी है,
सब के तारणहार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
जीवन मृत्यु के अधिकारी,
है यही तो भोले भंडारी,
है मोक्ष के दाता शिव शंकर,
है जगत पिता ये नागेश्वर,
भोले ही भाग्य विधाता है,
शिव सर्व गुणी है ज्ञाता है,
शिव सिमरन से हर पाप धुले,
शिव की इच्छा से स्वर्ग मिले,
शिव के एक इशारे पर,
खुलते मोक्ष के द्वार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
जब अंत समय आ जाता है,
और जीव बहुत घबराता है,
जब प्राण पखेरू उड़ता है,
जीवन मृत्यु से जुड़ता है,
निर्जीव हो जाती है काया,
मंडराती है मृत्यु छाया,
तब शिव ही सहारा देते है,
नैय्या को किनारा देते है,
भवसागर से नैय्या को,
शिव ही लगाते पार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 5 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 5)
नमो नमो शंकरा - भजन (Namo Namo Shankara)
भवान्यष्टकम्न - तातो न माता (Bhavani Ashtakam)
हम भोले भक्त तुम्हारे है,
हम मांगते आए द्वारे है,
हे महादेव हे शिव शंकर,
कुछ दया करो हम दुखियों पर,
हम सब दुख दर्द के मारे है,
हम आए द्वार तुम्हारे है,
अरदास है तुमसे बस इतनी,
सुन लो अ भोले भंडारी,
हम पर भी कृपा करना,
हे जग के करतार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥
शिव शंकर डमरू धारी,
है जग के आधार,
तीनो लोक पे रहता है,
उनका ही अधिकार,
शिव शंकर डमरू धारीं,
है जग के आधार ॥