गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
श्री जानकी स्रोत्र - जानकि त्वां नमस्यामि (Janaki Sotra - Janki Twam Namasyami)
प्रथमेनार्जिता विद्या.. (Prathame Narjita Vidya..)
रणधीर के प्रश्न तथा जाम्भोजी के उत्तर
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