गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
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* जम्भेश्वर समकालीन समराथल* ....समराथल धोरे की कथा। भाग 2
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