सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे नैन तिरछे,
दूसरा काजल लगा ।
तीसरा नज़रें मिलाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे होंठ पतले,
दूसरा लाली लगी ।
तीसरा तेरा मुस्कुराना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे हाथ कोमल,
दूसरा मेहँदी लगी ।
तीसरा मुरली बजाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक,
दूसरा पायल बंधी ।
तीसरा घुंगरू बजाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
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श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की बाल लीला भाग 4
श्री तुलसी स्तोत्रम् (Shri Tulsi Stotram)
एक तो तेरे भोग छप्पन,
दूसरा माखन धरा ।
तीसरा खिचडे का खाना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे साथ राधा,
दूसरा रुक्मण खड़ी ।
तीसरा मीरा का आना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तुम देवता हो,
दूसरा प्रियतम मेरे ।
तीसरा सपनों में आना,
दिल दीवाना हो गया ॥
सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया,
दिल दीवाना हो गया ॥
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