सब कुछ मिला रे भोले,
रहमत से तेरी
तूने ही है सुनी इल्तिज़ा मेरी ।
बन के फ़कीर मैं चला राह में तेरी
तू न मिलया मुझको आस है तेरी ।
ओ सबकुछ मिला रे भोले रहमत से तेरी
तूने ही है सुनी इल्तिजा मेरी ॥
तन एक मंदिर है ,रूह एक ज़रिया,
तू ना मिलेगा चाहे खोज लो दरिया,
रहता है कहाँ पे तू किस देश भेष में
मिल जा मुझे बस सुन ले
इतनी सी फरियाद,
ना कोई अपना है, सब है पराया
तुझ से ही है मोहब्बत बेइंतिहा मेरी ।
सब कुछ मिला रे भोले,
रहमत से तेरी
तूने ही है सुनी इल्तिज़ा मेरी ।
बन के फ़कीर मैं चला राह में तेरी
तू न मिलया मुझको आस है तेरी ।
कठिन सफर में, बन के,
फ़िरा बंजारा, राह में काँटे हैं,
फिर भी क्या खूब है नज़ारा,
जानता है तू भोले हर चित्त की चोरी
तूने है थामी मेरे जीवन की ये डोरी
मेरी ये सांस तू है मेरा विश्वाश तू है
किस्मत की है ना जरूरत,
लक़ीरों को मेरी,
सब कुछ मिला रे भोले,
रहमत से तेरी
तूने ही है सुनी इल्तिज़ा मेरी ।
बन के फ़कीर मैं चला राह में तेरी
तू न मिलया मुझको आस है तेरी ।
सब कुछ मिला रे भोले,
रहमत से तेरी
तूने ही है सुनी इल्तिज़ा मेरी।
बन के फ़कीर मैं चला राह में तेरी
तू न मिलया मुझको आस है तेरी ॥
फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Falgun Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)
भोले की किरपा से हमरे, ठाठ निराले है: भजन (Bhole Ki Kripa Se Hamare Thaat Nirale Hai)
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