मैंने मन को मंदिर बनाया,
ओ गौरी मैया के लाला,
तेरी मूरत को उसमे सजाया,
ओ गौरी मैया के लाला,
ओ गौरी मैया के लाला ॥
हर कारज में जो भी प्राणी,
तुझको प्रथम ही ध्यावे,
किसी किस्म की हानि ना हो,
काम सिद्ध हो जावे,
गजमुख वाले ओ रखवाले,
गजमुख वाले ओ रखवाले,
कर हमपे तू करम,
कर हमपे तू करम,
मैने मन को मंदिर बनाया,
ओ गौरी मैया के लाला ॥
नतमस्तक जो तेरे होवे,
तर जावे वो संसारी,
रिद्धि सिद्धि तू ही देता,
मूसे की करे सवारी,
तू गुणवन्ता तू भगवंता,
तू गुणवन्ता तू भगवंता,
कर सबपे तू करम,
कर सबपे तू करम,
मैने मन को मंदिर बनाया,
ओ गौरी मैया के लाला ॥
तू संचालक सबका मालिक,
विघ्न विनाश को टाले,
तू गुणवन्ता तू भगवंता,
सबको तू ही संभाले,
ओ गणनायक ओ सुखदायक,
ओ गणनायक ओ सुखदायक,
नमन करे तुझे हम,
नमन करे तुझे हम,
मैने मन को मंदिर बनाया,
ओ गौरी मैया के लाला ॥
जगदीश ज्ञान दाता: प्रार्थना (Jagadish Gyan Data: Prarthana)
आरती: श्री रामचन्द्र जी (Shri Ramchandra Ji 2)
मैंने मन को मंदिर बनाया,
ओ गौरी मैया के लाला,
तेरी मूरत को उसमे सजाया,
ओ गौरी मैया के लाला,
ओ गौरी मैया के लाला ॥