गजानन चरण कमल रज दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
तुम्हरी कृपा मिलत अविनाशी,
भव बंधन कट जासी,
जग में नहीं है सहारा जिनको,
उनको सहारा दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
यह संसार माया की मूरत,
पग पग तम उदघाटी,
कोय नहीं है जग में तुम सम,
पार उतारन हारी,
कृपा करो हे गजानन मुझ पर,
विद्यारस भर दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
गजानन चरण कमल रज दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
श्री सत्यनारायण कथा - द्वितीय अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Dwitiya Adhyay)
केवट ने कहा रघुराई से: भजन (Kewat Ne Kaha Raghurai Se)
सांवरियो आवेलो: भजन (Sanwariyo Aavelo)
Post Views: 221








