गजानन चरण कमल रज दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
तुम्हरी कृपा मिलत अविनाशी,
भव बंधन कट जासी,
जग में नहीं है सहारा जिनको,
उनको सहारा दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
यह संसार माया की मूरत,
पग पग तम उदघाटी,
कोय नहीं है जग में तुम सम,
पार उतारन हारी,
कृपा करो हे गजानन मुझ पर,
विद्यारस भर दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
गजानन चरण कमल रज दीजे,
गजानन चरण कमल रज दीजें ॥
भक्ति की झंकार उर के - प्रार्थना (Bhakti Ki Jhankar Urke Ke Taron Main: Prarthana)
श्री नाथ जी की संध्या आरती - गोरखनाथ मठ (Shri Nathji Sandhya Aarti - Gorakhnath Math)
राम पे जब जब विपदा आई - भजन (Ram Pe Jab Jab Vipada Aai)
Post Views: 132