कैसे दर आऊं,
मैं तेरे दरश पाने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को ॥
जिसको भी चाहो तुम,
दर पे बुलाते बाबा,
मुझ अभागे को क्यों तुम,
हो सताते बाबा,
मुझे दर पे बुला लो,
गले अपने लगा लो,
मेरी सच्ची है भक्ति,
जो चाहे आजमा लो,
छोड़ के आऊंगा मैं,
छोड़ के आऊंगा मैं,
सारे इस ज़माने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को ॥
मेरे कर्मो की सजा है जो,
दरश पा ना सका,
तेरे दरबार मेरे बाबा,
मैं जो आ ना सका,
मेरे पापों को हे शिव,
ना दिल से यूँ लगाओ,
मुझे भी दे दो माफ़ी,
दरश अपने कराओ,
मन में है मूरत तेरी,
मन में है मूरत तेरी,
आऊंगा सजाने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को ॥
दर तेरे बाबा मैं,
क्या ले करके आऊंगा,
तू तो दानी है तुझको,
क्या मैं चढ़ाऊंगा,
पास श्रद्धा है मेरे,
जो लेके दर पे आऊं,
अपनी भक्ति के बाबा,
फुल तुझको चढाऊं,
रूठे है बाबा,
रूठे है बाबा,
आऊंगा मैं मनाने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को ॥
मैया तेरे चरणों की: भजन (Maiya Tere Charno Ki )
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)
कैसे दर आऊं,
मैं तेरे दरश पाने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को,
हे शिव शंकर दर्शन दे दो,
अपने दीवाने को ॥