लेते ही नाम भोले का,
तूफान हट गया,
कश्ती पर मेरी आके,
समंदर सिमट गया,
ये तो महाकाल का दर है,
मेरे महाकाल का दर है ॥
महाकाल की कृपा से,
बतलाऊं क्या मिला,
इज्जत मिली शोहरत मिली,
तेरा पता मिला,
ये तो महाकाल का दर हैं,
मेरे महाकाल का दर है ॥
जिस वक्त मैंने दोस्तों,
भोले को पुकारा,
फौरन ही मिल गया मुझे,
मुश्किल में सहारा,
जब से मैंने महाकाल,
तेरा रूप निहारा,
कश्ती को मेरी तुमने,
प्रभु पार उतारा,
ये तो महाकाल का दर हैं,
मेरे महाकाल का दर है ॥
मुझ जैसे को भी आपने,
दर पर बुला लिया,
दामन में महाकाल ने,
मुझको छुपा लिया,
मेरे प्रभु का मुझपे,
ये एहसान देखिए,
हाँ जी एहसान देखिए,
मेरे प्रभु का मुझपे,
ये एहसान देखिये,
मुझ जैसे को भी आपने,
अपना बना लिया,
ये तो महाकाल का दर हैं,
मेरे महाकाल का दर है ॥
आपसे आपकी,
चौखट का सहारा लेकर,
क्या से क्या हो गया,
मैं नाम तुम्हारा लेकर,
लाज रख लो मेरी,
मैं आपका कहलाता हूं,
आपके दीवानों में,
बाबा गिना जाता हूं,
कोई भी दर नहीं,
संसार में इस दर जैसा,
मिल गया मुझको,
नसीबों से तेरा दर ऐसा,
चौखट मिली है जबसे,
मुझे तेरे नाम की,
इज्जत जहां में,
होने लगी इस गुलाम की,
ये तो महाकाल का दर हैं,
मेरे महाकाल का दर है ॥
पंच परमेष्ठी आरती (Panch Parmeshthi Aarti)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 29 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 29)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 1 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 1)
लेते ही नाम भोले का,
तूफान हट गया,
कश्ती पर मेरी आके,
समंदर सिमट गया,
ये तो महाकाल का दर है,
मेरे महाकाल का दर है ॥