जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे,
तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥
मन में बसा ले तू शिव का शिवाला,
साथ चलेगा तेरे डमरू वाला,
जो मन शिव की भक्ति में रम गयो रे,
तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥
जग की ये माया बड़ी उलझाए,
पाप कर्म भक्ति के आड़े आवे,
जो शिवजी ने हाथ सिर पे धर दियो रे,
तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥
बम बम बासुकी का नाम बड़ा प्यारा,
नाम ने लाखो को पार उतारा,
जो भोलेनाथ ने हाथ पकड़ लियो रे,
तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 3 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 3)
हरि सुंदर नंद मुकुंदा - भजन (Hari Sundar Nand Mukunda)
शीतला चालीसा (Sheetala Chalisa)
जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे,
तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥
Post Views: 134