जिसने भी माँ की चौखट पे,
सर को झुका लिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया ॥
कैला करोली वाली माँ,
ममता की खान है,
ममता की खान है,
मैया के दर पे झुक रहा,
सारा जहान है,
सारा जहान है,
जिसने भी झोली फैलाई,
उसने ही पा लिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया ॥
नौ निद्ध अष्ट सिद्ध की,
दाता दयाली है,
दाता दयाली है,
ये ही है दुर्गा चामुंडा,
ये ही काली है,
ये ही काली है,
रोता गया जो द्वार पर,
उसको हँसा दिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया ॥
कलयुग में कैला मैया का,
डंका है चारों ओर,
डंका है चारों ओर,
चरणों का बन जा ‘बावरा’,
होगी कृपा की कौर,
होगी कृपा की कौर,
‘चोखानी’ ने भी भजनो से,
माँ को रिझा लिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया ॥
जिसने भी माँ की चौखट पे,
सर को झुका लिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया,
करके दया भवानी ने,
बाहों में उठा लिया ॥
यशोदा जायो ललना मैं वेदन में सुन आई: भजन (Yashoda Jaayo Lalna Mai Vedan Me Sun Aayi)
काले काले बदरा, घिर घिर आ रहे है: भजन (Kaale Kaale Badra Ghir Ghir Aa Rahe Hai)
वैकुण्ठ चतुर्दशी प्रचलित पौराणिक कथा! (Vaikuntha Chaturdashi Pauranik Katha)
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन








