भगवान कृष्ण के बचपन का निवास ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना होली के लिए भारत मे सबसे अधिक प्रसिद्ध है। होली में गाये जाने वाले भजनों में से एक भजन।
होली खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ।
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ॥
नंदगांव के छैल बिहारी,
बरसाने कि राधा प्यारी ।
हिलमिल खेले गोपी ग्वाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ॥
ढापडोल मजीरा बाजे,
कहना मुख मुरली साजे ।
ए री सब नाचत दे दे ताल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ॥
याने भर पिचकारी मारी,
रंग में रंग दारी सारी ।
ए री मेरे मुख पर मलो गुलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ॥
होली खेल रहे नंदलाल,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ।
वृंदावन कुञ्ज गलिन में,
वृंदावन कुञ्ज गलिन में ॥
भजन का अन्य रूप
होली खेल रहे नन्दलाल,
गोकुल की कुञ्ज गलिन में ॥
मेरे घर मारी पिचकारी,
मेरी भीगी रेशम साड़ी,
मेरे घर मारी पिचकारी,
मेरी भीगी रेशम साड़ी,
अरे मेरे मुँह पे मलो गुलाल,
गोकुल की कुञ्ज गलिन में ॥
राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली गली - भजन (Ram Nam Ke Heere Moti Main Bikhraun Gali Gali)
ओ मेरे गोपाल कन्हैया, मोहन मुरली वाले: भजन (O Mere Gopal Kanhaiya Mohan Murliwale)
नमामि-नमामि अवध के दुलारे - भजन (Namami Namami Awadh Ke Dulare)
लिए ग्वाल बाल सब संग में,
रंग गई बसंती रंग में,
लिए ग्वाल बाल सब संग में,
रंग गई बसंती रंग में,
अरे मेरी चली ना कोई चाल,
गोकुल की कुञ्ज गलिन में ॥
मेरी रंग से भरी कमोरी,
कंकरिया मार के फोरी,
मेरी रंग से भरी कमोरी,
कंकरिया मार के फोरी,
में तो पड़ी हाल बेहाल,
गोकुल की कुञ्ज गलिन में ॥
मोसे हँस के बोलो बेना,
तोहे सही बताऊ बहना,
मोसे हँस के बोलो बेना,
तोहे सही बताऊ बहना,
मैं कर दई हरी और लाल,
गोकुल की कुञ्ज गलिन में ॥
होली खेल रहे नन्दलाल,
गोकुल की कुञ्ज गलिन में॥