हरि कर दीपक,
बजावें संख सुरपति,
गनपति झाँझ,
भैरों झालर झरत हैं ।
नारदके कर बीन,
सारदा गावत जस,
चारिमुख चारि वेद,
बिधि उचरत हैं ॥
षटमुख रटत,
ससहस्रमुख सिव सिव,
सनक-सनंदनादि,
पाँयन परत हैं ।
बालकृष्ण तीनि लोक,
तीस और तीनि कोटि,
एते शिवशंकरकी,
आरति करत हैं ॥
बजरंगी सरकार, द्वार तेरे आए: भजन (Bajrangi Sarkar Dwar Tere Aaye)
श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् (Vindhyeshwari Stotram)
शिव शम्भू सा निराला, कोई देवता नहीं है - भजन (Shiv Shambhu Sa Nirala Koi Devta Nahi Hai)
Post Views: 207