ओम अनेक बार बोल, प्रेम के प्रयोगी।
है यही अनादि नाद, निर्विकल्प निर्विवाद।
भूलते न पूज्यपाद, वीतराग योगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
वेद को प्रमाण मान, अर्थ-योजना बखान।
गा रहे गुणी सुजान, साधु स्वर्गभोगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
ध्यान में धरें विरक्त, भाव से भजें सुभक्त,
त्यागते अघी अशक्त, पोच पाप-रोगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
शंकरादि नित्य नाम, जो जपे विसार काम,
तो बने विवेक धाम, मुक्ति क्यों न होगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
– नाथूराम शर्मा ‘शंकर’
श्री राम स्तुति: नमामि भक्त वत्सलं (Namami Bhakt Vatsalan)
गौरी के लाड़ले: भजन (Gauri Ke Ladle )
गलियां जरा सजा दो, महाकाल आ रहे है: भजन (Galiyan Jara Saja Do Mahakal Aa Rahe Hai)
Post Views: 107