गोपाल गोकुल वल्लभे,
प्रिय गोप गोसुत वल्लभं ।
चरणारविन्दमहं भजे,
भजनीय सुरमुनि दुर्लभं ॥
घनश्याम काम अनेक छवि,
लोकाभिराम मनोहरं ।
किंजल्क वसन किशोर मूरति,
भूरिगुण करुणाकरं ॥
सिरकेकी पच्छ विलोलकुण्डल,
अरुण वनरुहु लोचनं ।
कुजव दंस विचित्र सब अंग,
दातु भवभय मोचनं ॥
कच कुटिल सुन्दर तिलक,
ब्रुराकामयंक समाननं ।
अपहरण तुलसीदास,
त्रास बिहारी बृन्दाकाननं ॥
गोपाल गोकुल वल्लभे,
प्रिय गोप गोसुत वल्लभं ।
चरणारविन्दमहं भजे,
भजनीय सुरमुनि दुर्लभं ॥
मैंने मन को मंदिर बनाया: भजन (Maine Mann Ko Mandir Banaya)
मन मोहन मूरत तेरी प्रभु: भजन (Mann Mohan Murat Teri Prabhu)
नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा - भजन (Nakoda Ke Bhairav Tumko Aana Hoga)
– गोस्वामी तुलसीदास
Post Views: 177