बैल की सवारी करे डमरू बजाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये
ॐ नमः शिवाये, ॐ नमः शिवाये
रचना रचा के आप खेले रे खिलाड़ी
कहीं पे बनावो राजा कहीं पे भिखारी
रोने लगा हार के वो जीत के हंसाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये
बैल की सवारी करे..
बाघम्बर लपेटे वो पहने नागमाला
हाथों में त्रिशूल धरे नाम भोला-भाला
दीनों पे दयाल होके लक्ष्मी लुटाए
जग के ताप हरे सुख बरसाये
बैल की सवारी करे..
स्वर्ग से उतारी गंगा जटा में समाई
भगतों को तारने धरती पे आई
भाल नेत्र ज्वाला से वो पापों को जलाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये
बैल की सवारी करे..
महादेव महादानी जग रखवाला कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 34 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 34)
शरण में आये को कर दे निहाला
उसकी लीला कौन जाने उसके सिवाय
जग के ताप हरे सुख बरसाये
बैल की सवारी करे..
बैल की सवारी करे डमरू बजाये
जग के ताप हरे सुख बरसाये
ॐ नमः शिवाये, ॐ नमः शिवाये