थारे भरोसे बैठ्यो मैया,
कोई ना म्हारो है,
आसरो दादी थारो है,
आसरो म्हाने थारो है ॥
नैया मेरी भटक गई है,
थोड़ी थोड़ी चटक गई है,
मजधारा में अटक गई है,
दारमदार भवानी इब तो,
दारमदार भवानी इब तो,
था पर सारो है,
आसरो दादी थारो हैं,
आसरो म्हाने थारो है ॥
हाथ पकड़ ले डूब ना जाऊँ,
रो रो थाने आज बुलाऊँ,
मेरे मन की पीड़ सुनाऊँ,
थे ना सुनो तो डूब ही जास्यूं,
थे ना सुनो तो डूब ही जास्यूं,
और ना चारो है,
आसरो दादी थारो हैं,
आसरो म्हाने थारो है ॥
‘हर्ष’ भवानी लाज बचा ले,
चरणा माहि आज बिठा ले,
टाबरिया ने गले लगा ले,
जग सेठाणी हाथ थाम ले,
जग सेठाणी हाथ थाम ले,
तेरो सहारो है,
आसरो दादी थारो हैं,
आसरो म्हाने थारो है ॥
थारे भरोसे बैठ्यो मैया,
कोई ना म्हारो है,
आसरो दादी थारो है,
आसरो म्हाने थारो है ॥
सोवन नगरी समराथल ........समराथल कथा भाग 10
कैंलाश शिखर से उतर कर: भजन (Kailash Shikhar Se Utar Kar)
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