बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुन मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
रंग रंगीला फागुन मेला,
सारे खाटू धाम चलो,
सारे खाटू धाम चलो,
लेकर के निशान हाथ में,
तुम बाबा की ओर बढ़ो,
तुम बाबा की ओर बढ़ो,
इस फागुन में हल्ला थोड़ा,
और होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुण मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
खाटू वाला इस मेले में,
सब पे प्यार लुटायेगा,
सब पे प्यार लुटायेगा,
‘शुभम रूपम’ भक्तों के संग में,
वो भी रंग उड़ायेगा,
वो भी रंग उड़ायेगा,
श्याम धणी के जयकारे का,
जोर होना चाहिए,
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुण मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुन मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4)
भोले के कांवड़िया मस्त बड़े मत वाले हैं: भजन (Bhole Ke Kawadiya Masat Bade Matwale Hain)
आरती श्री महाविष्णु देवा,आरती कीजे नरसिंह कंवर की,आरती जय जम्भेश्वर की