मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
एक ईश्वर की खातिर,
लाखो मंदिर अच्छे-अच्छे,
कड़ी धुप में छाया खातिर,
बिलख रहे है बच्चे,
उसके अंदर बोल रहे प्रभु,
उसको तो पहचान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
पत्थर पे हो नाम हमारा,
करे दिखावा दान,
दरिद्र बन के जांच रहा है,
नारायण भगवान,
लेके कटोरा हाथ फैलाये,
उधर करो कुछ ध्यान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥
हाथी का शीश ही क्यों श्रीगणेश के लगा? (Hathi Ka Sheesh Hi Kiyon Shri Ganesh Ke Laga?)
श्री शांतादुर्गेची आरती (Shri Shanta Durgechi Aarti)
भगवद् गीता आरती (Aarti Shri Bhagwat Geeta)
फणी है ईश्वर,
अंदर आकर बैठा प्राण,
बाहर तू गंगाजल चढ़ावे,
अंदर मदिरा-पान,
रोज हो रहा तेरे हाथों,
ईश्वर का अपमान ॥
मंदिर-मंदिर जाकर प्राणी,
ढूंढ रहा भगवान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान,
कण-कण में है राम समाया,
जान सके तो जान ॥