श्री राम धुन में मन तू,
जब तक मगन ना होगा,
भव जाल छूटने का,
तब तक जतन ना होगा ॥
व्यापार धन कमाकर,
तू लाख साज सजले,
होगा सुखी ना तब तक,
होगा सुखी ना तब तक,
संतोष धन ना होगा ॥
श्री राम धुन मे मन तू,
जब तक मगन ना होगा,
भव जाल छूटने का,
तब तक जतन ना होगा ॥
तप यज्ञ होम पूजा,
व्रत और नैम कर ले,
सब व्यर्थ है जो मुख से,
सब व्यर्थ है जो मुख से,
हरी का भजन ना होगा ॥
श्री राम धुन मे मन तू,
जब तक मगन ना होगा,
भव जाल छूटने का,
तब तक जतन ना होगा ॥
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संसार की घटा से,
क्या प्यास बुझ सकेगी,
प्यासे ह्रदय को जब तक,
प्यासे ह्रदय को जब तक,
तेरा ना धन मिलेगा ॥
श्री राम धुन मे मन तू,
जब तक मगन ना होगा,
भव जाल छूटने का,
तब तक जतन ना होगा ॥