अब ना बानी तो फिर ना बनेगी – भजन (Ab Naa Banegi Too Phir Na Banegi)

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अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

हीरा सा जनम क्यों विरथा गवायों
ना सत्संग कियो हरी गुण गायो
जननी तेरी तुझे फिर ना जनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

अब ना बानी तो,
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

तेरी जवानी भरम भुलानी
गुरु पितु मात की बात मानी
नैया कहो कैसे पार लगेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

अब ना बानी तो,
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

ओ प्राणी तेरी माटी
धरणी गिरत है पतंग ज्यो काटी
माटी में माटी मिल रहेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

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अब ना बानी तो,
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता
नर तन बार बार नहीं मिलता
नर तन बार बार नहीं मिलता

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Sandeep Bishnoi

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