मेरी नैया पार लगेगी,
माँ खड़ी है तू उस पार,
ना कोई माझी साथ में,
ना हाथों पतवार ॥
जीवन रूपी नाव भवानी,
चलती तेरे दम पे माँ,
रहे बरसता यूँ ही दादी,
प्यार तुम्हारा हमपे माँ,
माँ बनकर रहना यूँ ही,
माँ बनकर रहना यूँ ही,
नैया की खेवनहार,
ना कोई माझी साथ में,
ना हाथों पतवार ॥
मुझे यकीं है बिन बोले ही,
दादी दौड़ी आएगी,
मझधारों में अटकी नैया,
आके पार लगाएगी,
ये अटल भरोसा मेरा,
ये अटल भरोसा मेरा,
मेरे जीवन का आधार,
ना कोई माझी साथ में,
ना हाथों पतवार ॥
नैनो की पुतली में दादी,
हर पल तेरा बसेरा है,
‘हर्ष’ कहे तुमसे जीवन में,
हरदम नया सवेरा है,
दे स्पर्श तेरे हाथों का,
दे स्पर्श तेरे हाथों का,
कर ‘स्वाति’ का उद्धार,
ना कोई माझी साथ में,
ना हाथों पतवार ॥
मेरी नैया पार लगेगी,
माँ खड़ी है तू उस पार,
ना कोई माझी साथ में,
ना हाथों पतवार ॥
श्री चिंतपूर्णी देवी की आरती (Mata Shri Chintpurni Devi)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 35 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 35)
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