हरि ओम श्री शाकुम्भरी अंबा जी की आरती क़ीजो
एसी अद्वभुत रूप हृदय धर लीजो
शताक्षी दयालू की आरती किजो
तुम परिपूर्ण आदि भवानी माँ,
सब घट तुम आप भखनी माँ
शकुंभारी अंबा जी की आरती किजो
तुम्ही हो शाकुम्भर,
तुम ही हो सताक्षी माँ
शिवमूर्ति माया प्रकाशी माँ
शाकुम्भरी अंबा जी की आरती किजो
नित जो नर नारी अंबे आरती गावे माँ
इच्छा पूरण किजो,
शाकुम्भर दर्शन पावे माँ
शाकुम्भरी अंबा जी की आरती किजो
जो नर आरती पढ़े पढ़ावे माँ,
जो नर आरती सुनावे माँ
बस बैकुण्ठ शाकुम्भर दर्शन पावे
शाकुम्भरी अंबा जी की आरती किजो
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मईआ - भजन (Bhajan: Nache Nandlal Nachave Hari Ki Maiya)
रूपा मांझू को जल छानने का आदेश भाग 2
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