शम्भु स्तुति – नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं (Shambhu Stuti)

jambh bhakti logo

लंका प्रवेश के समय भगवान श्री राम ने रामेश्वरम में स्वयं शिवलिंग की स्थापना के साथ भगवान शिव का आह्वान किया था। शम्भु स्तुति को भगवान राम द्वारा रचित कहा जाता है, इस शम्भु स्तुति का उल्लेख ब्रह्म पुराण से लिया गया है।

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं
नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।
नमामि रुद्रं प्रभुमक्षयं तं
नमामि शर्वं शिरसा नमामि ॥१॥

नमामि देवं परमव्ययंतं
उमापतिं लोकगुरुं नमामि ।
नमामि दारिद्रविदारणं तं
नमामि रोगापहरं नमामि ॥२॥

नमामि कल्याणमचिन्त्यरूपं
नमामि विश्वोद्ध्वबीजरूपम् ।
नमामि विश्वस्थितिकारणं तं
नमामि संहारकरं नमामि ॥३॥

नमामि गौरीप्रियमव्ययं तं
नमामि नित्यंक्षरमक्षरं तम् ।
नमामि चिद्रूपममेयभावं
त्रिलोचनं तं शिरसा नमामि ॥४॥

नमामि कारुण्यकरं भवस्या
भयंकरं वापि सदा नमामि ।
नमामि दातारमभीप्सितानां
नमामि सोमेशमुमेशमादौ ॥५॥

नमामि वेदत्रयलोचनं तं
नमामि मूर्तित्रयवर्जितं तम् ।
नमामि पुण्यं सदसद्व्यातीतं
नमामि तं पापहरं नमामि ॥६॥

नमामि विश्वस्य हिते रतं तं
नमामि रूपापि बहुनि धत्ते ।
यो विश्वगोप्ता सदसत्प्रणेता
नमामि तं विश्वपतिं नमामि ॥७॥

यज्ञेश्वरं सम्प्रति हव्यकव्यं
तथागतिं लोकसदाशिवो यः ।
आराधितो यश्च ददाति सर्वं
नमामि दानप्रियमिष्टदेवम् ॥८॥

बैल की सवारी करे डमरू बजाये - भजन (Bail Ki Sawari Kare Damroo Bajaye)

तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak)

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई: भजन (Sukh Ke Sab Saathi, Duhkh Mein Na Koi)

नमामि सोमेश्वरंस्वतन्त्रं
उमापतिं तं विजयं नमामि ।
नमामि विघ्नेश्वरनन्दिनाथं
पुत्रप्रियं तं शिरसा नमामि ॥९॥

नमामि देवं भवदुःखशोक
विनाशनं चन्द्रधरं नमामि ।
नमामि गंगाधरमीशमीड्यं
उमाधवं देववरं नमामि ॥१०॥

नमाम्यजादीशपुरन्दरादि
सुरासुरैरर्चितपादपद्मम् ।
नमामि देवीमुखवादनानां
ईक्षार्थमक्षित्रितयं य ऐच्छत् ॥११॥

पंचामृतैर्गन्धसुधूपदीपैः
विचित्रपुष्पैर्विविधैश्च मन्त्रैः ।
अन्नप्रकारैः सकलोपचारैः
सम्पूजितं सोममहं नमामि ॥१२॥
॥ इति श्रीब्रह्ममहापुराणे शम्भुस्तुतिः सम्पूर्णा ॥

शिव चालीसा | लिङ्गाष्टकम् | शिव आरती | शिव भजन | शिव पंचाक्षर स्तोत्र | द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र

Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment