ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।
नमः स्वाहायै स्वाधायै नित्यमेव नमो नमः ॥
ॐ पितृभ्यो नमः ॥
श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान गौ चारण लीला भाग 4
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जगन्नाथ मंगल आरती (Jagannath Mangal Aarti)
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