ये माया तेरी,
बहुत कठिन है राम
रक्त माँस हङ्ङी के ढेर पर,
मढा हुआ है चाम,
देख उसी की सुन्दरता,
हो जाती निंद हराम,
यह माया तेरी,
बहुत कठिन है राम
करता नित्य विरोध क्रोध का,
कहता बुरा परिणाम,
होता क्रोधित स्वयं तो होती,
वाणी बिना लगाम,
यह माया तेरी,
बहुत कठिन है राम
मृत्यु देखता है औरों की,
रोज सवेरे शाम,
भवन बनाता ऐसे जैसे,
हरदम यहाँ मुकाम,
यह माया तेरी,
बहुत कठिन है राम
क्रोधात् भवति संमोहः (Krodhad Bhavati Sammohah)
राजेश्वर प्रभु तुम मायापति,
करुणानिधि है नाम,
नाथ निवेरो अपनी माया,
जीव लहे विश्राम,
यह माया तेरी,
बहुत कठिन है राम
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