ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है,
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
मैया का बसेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
अपनी सारी जिंदगी,
हमने तेरे नाम कर दी,
खुशियां या गम देना,
अम्बे माँ तेरी मर्जी,
तू जो चाहे होवे शाम,
चाहे तो सवेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
सूरत नैनो में बसा,
अखियां में बंद कर लूँ,
देवी मैया तुझसे,
बातें मैं चंद कर लूँ,
देखूं तुझे जी भर के,
यही ख्वाब मेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
रोते रोते जो आते,
मुस्कान ले जाते है,
खोया जो जीवन में,
सुख सारे पाते है,
कटे तेरी कृपा से माँ,
दुखो का ये घेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है,
ऊंचे ऊंचे पर्वत पे,
मैया का बसेरा है,
मतलब की दुनिया में,
सच्चा प्रेम तेरा है ॥
सकट चौथ पौराणिक व्रत कथा - राजा हरिश्चंद्र.. (Sakat Chauth Pauranik Vrat Katha)
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