श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में ।
श्यामा रसते में बाग लगा जाना,
फुल बीनुगी तेरी माला के लिए ।
तेरी बाट निहारूं कुंजन में,
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में ॥
श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में ।
श्यामा रसते में कुआँ खुदवा जाना,
मैं तो नीर भरुंगी तेरे लिए ।
मैं तुझे नहालाउंगी मल-मल के,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ॥
श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ।
श्यामा मुरली मधुर सुना जाना,
मोहे आके दरश दिखा जाना ।
तेरी सूरत बसी है अंखियन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ॥
श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ।
श्री शङ्कराचार्य कृतं - शिव स्वर्णमाला स्तुति (Shiv Swarnamala Stuti)
बिश्नोई पंथ स्थापना तथा समराथल ....... समराथल धोरा कथा भाग 5
जय दुर्गे जय दुर्गे: मंत्र (Jaya Durge Daya Durge)
श्यामा वृन्दावन में आ जाना,
आकर के रास रचा जाना ।
सूनी गोकुल की गलियन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ॥
श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ।
श्यामा माखन चुराने आ जाना,
आकर के दही बिखरा जाना ।
बस आप रहो मेरे मन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ॥
श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उमर बीत गयी गोकुल में ।
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