मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रंगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
रंग भरी पिचकारी लेकर,
खाटू नगरी आवा जी,
छोटो छोटो हाथा से म्हे,
रंग लगावा जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
लाल गुलाबी नीला पीला,
रंग से खाटू रंगस्या जी,
ऐसो करा धमाल के बाबो,
रुक ना पावे जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
भगता के संग होली खेलन,
श्याम धणी अब आयो जी,
देख म्हाने सांवरिये को,
जी ललचावे जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
‘नवीन’ सुनावे फाग श्याम ने,
संग भक्ता रो रेलो जी,
सांवरियो म्हने रंग लगावे,
म्हे भी नाचा जी,
मेलो फागण को,
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रँगस्या जी,
मेलो फागण को ॥
राख शरण गिरधारी साँवरे: भजन (Rakh Sharan Girdhari Sanware)
आ गया फागुन मेला: भजन (Aa Gaya Falgun Mela)
उड़ उड़ जा रे पंछी: भजन (Ud Ud Ja Re Panchhi )
मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रंगस्या जी,
मेलो फागण को ॥