शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
सर पे बसी है गंगा,
माथे पे चन्द्रमा है,
नंदी की है सवारी,
अर्धांगिनी उमा है,
गले सर्प की है माला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
अमृत की कामना से,
सब मथ रहे शिवसागर,
निकला है उससे विष जो,
सब पि गए हलाहल,
उस ज़हर को पिने वाला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
आशा हुई निराशा,
जाए तो किसके द्वारे,
तुझे छोड़ हे महेश्वर,
अब किसको हम पुकारे,
सूना है मन शिवाला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥
पत राखो गौरी के लाल, हम तेरी शरण आये: भजन (Pat Rakho Gauri Ke Lal Hum Teri Sharan Aaye)
मधुराष्टकम्: अधरं मधुरं वदनं मधुरं (Madhurashtakam Adhram Madhuram Vadnam Madhuram)
शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,
जैसा भी है डमरू वाला,
कोई देवता नहीं है ॥