रण में आयी देखो काली,
खून से भरने खप्पर खाली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
अष्ट भुजाओं वाला लहंगा,
पहन के मैया आई है,
काट के दुष्टो का सर मैया,
ने माला बनाई है,
चंडी रूप बात निराली,
सजती है मेरी मैया काली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
देख के रूप विराट माँ तेरा,
कई देवता भी हारे,
तेरे आगे विनती करते,
हाथ जोड़ते है सारे,
आखिर में शिव शंकर जी ने,
किया है शांत तुझे माँ काली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
जैसे भैरव बाबा की,
मुक्ति की तूने अम्बे माँ,
महिषासुर को सबक सिखाने,
वाली तू जगदम्बे माँ,
ऐसे ही ‘आशीष बागड़ी’,
चरणों में तेरे आया माँ,
‘हेमंत ब्रजवासी’ ने मैया,
तेरा ही गुण गाया माँ,
खुशियों सबको देने वाली,
जय काली काली ॥
रण में आयी देखो काली,
खून से भरने खप्पर खाली,
दुष्टो को तू मारने वाली,
जय काली काली ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 14 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 14)
भजन :- गिरधर गोकुल आव ,जंभेश्वर भगवान म्हाने दर्शन दो जी आय, भजन :- गावो गावो ए सईयां म्हारी गितड़ला
श्री सत्यनारायण कथा - प्रथम अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Pratham Adhyay)
दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन