नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
लुट जाउंगी श्याम तेरी लटकन पे,
बिक जाउंगी लाल तेरी मटकन पे ।
मोरे कैल गरारे भाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
मर जाउंगी काहन तेरी अधरन पे,
मिल जाउंगी तेरे नैनन पे ।
वो तो तिर्शी नज़र चलाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
बलिहारी कुंवर तेरी अलकन पे,
तेरी बेसर की मोती छलकन पे ।
सपने में कहा पत्राए गायो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 9 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 9)
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नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
पागल को प्यारो वो नंदलाला,
दीवाना भाए है जाके सब ग्वाला ।
वो तो मधुर मधुर मुस्काये गायो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।