नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
लुट जाउंगी श्याम तेरी लटकन पे,
बिक जाउंगी लाल तेरी मटकन पे ।
मोरे कैल गरारे भाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
मर जाउंगी काहन तेरी अधरन पे,
मिल जाउंगी तेरे नैनन पे ।
वो तो तिर्शी नज़र चलाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
बलिहारी कुंवर तेरी अलकन पे,
तेरी बेसर की मोती छलकन पे ।
सपने में कहा पत्राए गायो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
जब जब मन मेरा घबराए - भजन (Jab Jab Man Mera Ghabraye)
बाँधु जिसपे राखी, वो कलाई चाहिए: भजन (Bandhu jispe Rakhi wo Kalai chahiye)
बिसर गई सब तात पराई - शब्द कीर्तन (Bisar Gai Sab Taat Paraai)
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।
पागल को प्यारो वो नंदलाला,
दीवाना भाए है जाके सब ग्वाला ।
वो तो मधुर मधुर मुस्काये गायो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ॥
नैनन में श्याम समाए गयो,
मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।