मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥
कमल लज्जाये तेरे,
नैनो को देख के ।
भूली घटाएँ तेरी,
कजरे की रेख पे ।
यह मुखड़ा निहार के,
सो चाँद गए हार के,
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥
मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥
कुर्बान जाऊं तेरी,
बांकी अदाओं पे ।
पास मेरे आजा तोहे,
भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।
जमाने को विसार के,
दिलो जान तोपे वार के,
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥
मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥
जय हो जय जय है गौरी नंदन - आरती (Jai Ho Jai Jai He Gauri Nandan)
भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Bhadrapad Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)
रमण बिहारी नहीं,
तुलना तुम्हारी।
तुझ सा ना पहले,
कोई ना देखा अगाडी ।
दीवानों ने विचार के,
कहा यह पुकार के,
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥
मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥