मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का – भजन (Mukut Sir Mor Ka, Mere Chit Chor Ka)

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मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

कमल लज्जाये तेरे,
नैनो को देख के ।
भूली घटाएँ तेरी,
कजरे की रेख पे ।
यह मुखड़ा निहार के,
सो चाँद गए हार के,
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

कुर्बान जाऊं तेरी,
बांकी अदाओं पे ।
पास मेरे आजा तोहे,
भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।
जमाने को विसार के,
दिलो जान तोपे वार के,
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

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रमण बिहारी नहीं,
तुलना तुम्हारी।
तुझ सा ना पहले,
कोई ना देखा अगाडी ।
दीवानों ने विचार के,
कहा यह पुकार के,
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।
दो नैना सरकार के,
कटीले हैं कटार से ॥

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Sandeep Bishnoi

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