जिनके सिर पर हाथ हो इनका,
क्या बिगाड़े काल,
छोड़ जगत के फंदे बन्दे,
भज ले बस महाकाल,
महाकाल महाकाल महाकाल ॥
तेरी सारी चिंताओं को,
हर लेंगे त्रिपुरारी,
खुशियों से दामन भर देंगे,
शिव भोले भंडारी,
सौप दे शिव चरणों में जीवन,
यही पिता यही मात,
सबसे आली चौखट इनकी,
जगत पसारे हाथ,
महाकाल महाकाल महाकाल ॥
उज्जैनी क्षिप्रा के तट पर,
भोले भस्म रमाए,
नगर भ्रमण पर निकले ठाठ से,
जब जब श्रावण आए,
हम पर भी किरपा की नज़र,
हो चिंतामन के तात,
खुल जायेगे भाग्य हमारे,
रखो जो सिर पर हाथ,
महाकाल महाकाल महाकाल ॥
‘व्यास हरि’ जो भजे भाव से,
महाकाल मिल जाए,
जिनकी नौका इनके भरोसे,
भव सिंधु तर जाए,
जाऊं कहा तजी शरण तिहारी,
यही मेरा घर बार,
मन इच्छा मरघट बस जाऊं,
शिव भोले के साथ,
महाकाल महाकाल महाकाल ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)
सीता कल्याण वैभोगमे (Seetha Kalyana Vaibhogame)
जिनके सिर पर हाथ हो इनका,
क्या बिगाड़े काल,
छोड़ जगत के फंदे बन्दे,
भज ले बस महाकाल,
महाकाल महाकाल महाकाल ॥








