गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥
कौन कहते है गणराज आते नही,
भाव भक्ति से उनको बुलाते नही ॥
कौन कहते है गणराज खाते नही,
भोग मोदक का तुम खिलाते नही ॥
कौन कहते है गणराज सोते नही,
माता गौरा के जैसे सुलाते नही ॥
कौन कहते है गणराज नाचते नही,
रिद्धि सिद्धि के जैसे नचाते नही ॥
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 6 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 6)
बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई: भजन (Bansi Bajake Meri Nindiya Churai)
बिश्नोई पंथ स्थापना तथा समराथल ....... समराथल धोरा कथा भाग 5
गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं ॥
Post Views: 39