धूम मची है धूम माँ के दर: भजन (Dhoom Machi Hai Dhoom Maa Ke Dar)

jambh bhakti logo

धूम मची है धूम माँ के दर,
धूम मची है धूम ॥

श्लोक – कहीं न चैन मिला,
जब हमको इस ज़माने में,
तो बड़ा आराम मिला,
मैया के दर पे आने में ॥

धूम मची है धूम मां के दर,
धूम मची है धूम,
धूम मची है धूम मां के दर,
धूम मची है धूम,
द्वार पे आके शीश झुका के,
द्वार पे आके शीश झुका के,
चौखट माँ की चुम चुम चुम,
धूम मची है धूम मां के दर,
धूम मची है धूम ॥

आके दरबार में जगदम्बे का,
दर्शन कर लो,
व्यर्थ में खो रहा जीवन,
उसे सफल कर लो,
कम से कम आके तो नजरो से,
नजारा कर लो,
मैया के द्वार पे जीने का,
सहारा कर लो,
छोड़ संसार को मैया की,
शरण जो आए,
जो भी वरदान की इक्छा हो,
तुरत मिल जाए,
गर दया कर दे मेरी मैया तो,
भंडार भरे,
गर नजर फेर ले मेरी माँ तो,
फिर संहार करे,
माँ के द्वार में आने से ‘लख्खा’,
क्या डरना,
कष्ट मिट जाए सभी चुम ले,
माँ के चरणा,
माँ को मनाले,
दिल में बसाले,
दिल में बसा के झूम झूम झूम,
धूम मची है धूम मां के दर,
धूम मची है धूम ॥

ऊँचे पर्वत पे मेरी माँ,
की ध्वजा लहराए,
माँ की शक्ति से लंगड़ा भी,
पहाड़ चढ़ जाए,
पापी और दुष्ट को देती है,
मैया ऐसी सजा,
माँ के भक्तो की डोर,
माँ के हाथों में है सदा,
माँ अगर कर दे मेहर,
काम सभी बन जाए,
पापी गर भूल से आए,
तो वो भी तर जाए,
जो भी आता दर पे,
झोली पल में भर जाती,
सारा संसार भिखारी है,
माँ है एक दाती,
महिमा माँ की,
अकबर जानी,
गया था दर को,
चुम चुम चुम,
धूम मची है धूम मां के दर,
धूम मची है धूम ॥

माँ की शक्ति से कष्ट,
पल भर में टल जाए,
भुत और प्रेत की बाधा,
सभी निकल जाए,
आओ सब मिलके,
मैया को नमस्कार करे,
मोह और माया का बस,
दिल से तिरस्कार करे,
जिसने है जो माँगा,
उसको वही चीज मिली,
बाँझ की गोद भरी,
आंखे अन्धो को है मिली,
इतना पावन है माँ का,
नाम सभी गाते है,
बन्दे तो क्या है,
देवता भी सर झुकाते है,
माँ के जलवो की शान,
जग में तो निराली है,
माँ ही ज्वाला है दुर्गा है,
माँ महाकाली है,
लाल ध्वजा है,
मस्त समा है,
लख्खा गाए झूम झूम झूम,
धूम मची है धूम माँ के दर,
धूम मची है धूम ॥

ऐसा प्यार बहा दे मैया: भजन (Aisa Pyar Baha De Maiya)

भजन: तुम से लागी लगन.. पारस प्यारा (Tumse Lagi Lagan Le Lo Apni Sharan Paras Pyara)

अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे: भजन (Ambe Ambe Bhavani Maa Jagdambe)

धूम मची है धूम माँ के दर,
धूम मची है धूम,
द्वार पे आके शीश झुका के,
द्वार पे आके शीश झुका के,
चौखट माँ की चुम चुम चुम,
धूम मची है धूम माँ के दर,
धूम मची है धूम ॥

दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन

Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment