आरती युगलकिशोर की कीजै (Aarti Shri Yugal Kishoreki Keejai)

आरती युगलकिशोर की कीजै ।
तन मन धन न्योछावर कीजै ॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै ।
हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा ।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥

ओढ़े नील पीत पट सारी ।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥

फूलन सेज फूल की माला ।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥

कंचन थार कपूर की बाती ।
हरि आए निर्मल भई छाती ॥

श्री दुर्गा के 108 नाम (Shri Durga 108 Name)

कृपालु भगवन् कृपा हो करते: भजन (Krapalu Bhagwan Kriya Ho Karte)

जिस ओर नजर फेरूं दादी, चहुँ ओर नजारा तेरा है: भजन (Jis Aur Nazar Ferun Dadi Chahun Aur Nazara Tera Hai)

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी ।
आरती करें सकल नर नारी ॥

नंदनंदन बृजभान किशोरी ।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment