जानिए कैसे ओम जी, हरी भाई जी और सुनील जी ने मिलकर 2005 में नोखा, राजस्थान से “GKG Namkeen” की शुरुआत की और कैसे आज यह ब्रांड राजस्थान से बाहर भी अपनी पहचान बना रहा है।

🧭 Table of Contents
- GKG Namkeen की शुरुआत कैसे हुई?
- GKG नाम के पीछे की असली कहानी
- शुरुआती संघर्ष और चुनौतियाँ
- व्यवसाय में परिवार और समाज का सहयोग
- पैसों की कमी और उसका समाधान
- उत्पाद की खासियत और उपभोक्ताओं के प्रति समर्पण
- राजस्थान से बाहर फैलती पहचान
- FAQs
- निष्कर्ष
🏭 GKG Namkeen की शुरुआत कैसे हुई?
GKG Namkeen की शुरुआत एक छोटे से शहर नोखा, राजस्थान से 18 सितंबर 2005 को हुई थी। इस ब्रांड को खड़ा करने वाले तीन भाई – ओम जी, हरी भाई जी और सुनील जी – ने जमीन से उठकर इसे एक मजबूत ब्रांड बनाया।

सबसे बड़े भाई ओम जी, जो आज इस पूरी सफलता की रीढ़ हैं, ने सबसे पहले यह सपना देखा था कि उन्हें किसी की नौकरी नहीं करनी, बल्कि खुद का कुछ बड़ा करना है।
📛 GKG नाम के पीछे की असली कहानी
इस ब्रांड का नाम पहले गोकुल रखा गया था, जो इनके पिता जी का नाम भी है – गोकुल जी। लेकिन जब ब्रांड रजिस्ट्रेशन में अड़चन आई, तो इसका एक नया नाम तय किया गया – GKG, जिसका मतलब है:
Global King Gokul
इस तरह नाम भी बना रहा और पिता जी का सम्मान भी जुड़ा रहा।
🔥 शुरुआती संघर्ष और चुनौतियाँ
जब इन्होंने यह व्यवसाय शुरू किया, तो ना तो मकान था, ना संसाधन और ना ही कोई खास पूंजी। सिर्फ 24 घंटे में उन्होंने तय कर लिया कि सुबह से व्यवसाय शुरू करना है।
तीनों भाइयों ने आपस में सहयोग कर 18 सितंबर 2005 को GKG नमकीन की शुरुवात की।
उनका मानना है:
“अगर परिवार एकजुट हो तो कोई चुनौती बड़ी नहीं लगती।”
🤝 व्यवसाय में परिवार और समाज का सहयोग
सुनील जी बताते हैं कि वे महज 12 साल की उम्र में आइसक्रीम बेचकर व्यापार की दुनिया में आ चुके थे।
परिवार में हर किसी ने उनका साथ दिया खासकर माता-पिता – ने हर कदम पर उनका साथ दिया।
समाज ने भी उन्हें निराश नहीं किया और हर स्तर पर सहयोग किया।
💰 पैसों की कमी और उसका समाधान
जब व्यवसाय की शुरुआत हुई, तब पैसों की भारी तंगी थी। लेकिन व्यवहार और संबंधों की ताकत ने उनकी मदद की।
सुनील जी कहते हैं:
“अगर आपका व्यवहार अच्छा है, तो पैसा कभी आड़े नहीं आता।”
🍲 उत्पाद की खासियत और उपभोक्ताओं के प्रति समर्पण
GKG Namkeen के मोटा भुजिया और अन्य नमकीन प्रोडक्ट्स की खास बात है कि ये नेचुरल स्वाद से भरपूर होते हैं।
ये भुजिया किसानों के खाने के अनुकूल बनाए गए हैं, ताकि वो भोजन, सब्ज़ी या स्नैक्स – तीनों में उपयोग कर सकें।
“हम ग्राहक को भगवान मानते हैं, इसलिए वही चीज़ बनाते हैं जो भगवान को अर्पित की जा सके।”
श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् (Shri Mallikarjuna Mangalashasanam)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 1 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 1)
🌍 राजस्थान से बाहर फैलती पहचान
GKG Namkeen अब पश्चिम राजस्थान में व्यापक रूप से उपलब्ध है और धीरे-धीरे पूरे भारत में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है।
अब हर राज्य में इसकी उपस्थिति दर्ज हो रही है और ग्राहक इसका स्वाद पहचानने लगे हैं।
सुनील जी भांभू (GKG Namkeen) के साथ बातचीत
❓FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. GKG Namkeen की शुरुआत कब हुई थी?
👉 18 सितंबर 2005 को नोखा, राजस्थान से।
Q2. GKG नाम का क्या मतलब है?
👉 Global King Gokul – इनके पिता जी के नाम से प्रेरित।
Q3. क्या ये ब्रांड अब राजस्थान से बाहर भी मिलता है?
👉 हाँ, अब यह ब्रांड धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी उपलब्ध हो रहा है।
Q4. GKG भुजिया की खास बात क्या है?
👉 इसका स्वाद देसी और प्राकृतिक है – खासतौर पर किसानों के लिए उपयुक्त।
Q5. क्या व्यवसाय शुरू करने में पैसे की दिक्कत आई थी?
👉 हाँ, लेकिन अच्छे व्यवहार और परिवार के सहयोग से उसे पार किया गया।
✅ निष्कर्ष: मेहनत, समर्पण और स्वाद की कहानी
GKG Namkeen सिर्फ एक ब्रांड नहीं बल्कि तीन भाइयों के परिश्रम, परिवार के समर्थन और समाज के सहयोग की जीती-जागती मिसाल है।
उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हो, तो साधन की कमी भी बाधा नहीं बनती।
अगर आप भी किसी छोटे शहर से कुछ बड़ा करना चाहते हैं, तो GKG Namkeen की यह कहानी आपके लिए प्रेरणा हो सकती है। ओर अगर आपको ये सच्ची कहानी अच्छी लगी तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ आगे शेयर कर सकते हैं, ताकि उनको भी कुछ करने की प्रेरणा मिले।
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