ओम अनेक बार बोल: भजन (Om Anek Bar Bol Prem Ke Prayogi)

jambh bhakti logo

ओम अनेक बार बोल, प्रेम के प्रयोगी।
है यही अनादि नाद, निर्विकल्प निर्विवाद।
भूलते न पूज्यपाद, वीतराग योगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥

वेद को प्रमाण मान, अर्थ-योजना बखान।
गा रहे गुणी सुजान, साधु स्वर्गभोगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥

ध्यान में धरें विरक्त, भाव से भजें सुभक्त,
त्यागते अघी अशक्त, पोच पाप-रोगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥

शंकरादि नित्य नाम, जो जपे विसार काम,
तो बने विवेक धाम, मुक्ति क्यों न होगी।
॥ ओम अनेक बार बोल..॥
– नाथूराम शर्मा ‘शंकर’

गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है: भजन (Gajanand Maharaj Padharo Kirtan Ki Taiyari Hai)

विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa)

श्री तुलसी स्तोत्रम्‌ (Shri Tulsi Stotram)

Picture of Sandeep Bishnoi

Sandeep Bishnoi

Leave a Comment