भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ।
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ॥
लौट जाए स्वार्थ, कटुता,
द्वेष, दम्भ निराश होकर ।
शून्य मेरे मन भवन में,
देव! इतना प्यार भर दो ॥
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ॥
बात जो कह दूं, हृदय में,
वो उतर जाये सभी के ।
इस निरस मेरी गिरा में,
वह प्रभाव अपार भर दो ॥
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ॥
कृष्ण के सदृश सुदामा,
प्रेमियों के पांव धोने ।
नयन में मेरे तरंगित,
अश्रु पारावार भर दो ॥
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ॥
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां - भजन (Thumak Chalat Ramchandra)
उत्तर प्रदेशीय जमात सहित ऊदे का सम्भराथल आगमन ......समराथल कथा भाग 8
आरती श्री महाविष्णु देवा,आरती कीजे नरसिंह कंवर की,आरती जय जम्भेश्वर की
पीड़ितों को दूँ सहारा,
और गिरतों को उठा लूँ ।
बाहुओं में शक्ति ऐसी,
ईश सर्वाधार भर दो ॥
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ॥
रंग झूठे सब जगत के,
ये “प्रकाश” विचार देखा ।
क्षुद्र जीवन में सुघड़ निज,
रंग परमोदार भर दो ॥
भक्ति की झंकार उर के,
तारों में कर्त्तार भर दो ॥